घर में एक छोटी सी चोरी की वजह से घर से निकाल दिए गए राजा चेन्नई आकर चोरी ही करने लगे। एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल में रहकर उन्हें अहसास हुआ कि ऐसी जिंदगी का कोई मतलब नहीं और वह सड़क पर भीख मांगने वाले बेसहारा लोगों की मदद करने में पूरी तरह से गए। आईये जानें उनके जीवन को थोड़ा और करीब से कि कैसे एक चोर बेसहारा लोगों का मसीहा बन गया…
राजा आज लगभग 700 लोगों की मदद कर रहे हैं। वह इन सारे लोगों को तीन टाइम का खाना देते हैं उन्हें मेडिकल की सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं, छोटे बेसहारा बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था करते हैं। ये सब राजा लोगों से मिलने वाले चंदे से करते हैं उन्हें सरकार की ओर से भी थोड़ी बहुत मदद मिल जाती है।
हम जब भी घर से बाहर निकलते हैं तो सड़क पर भीख मांगते हुए बच्चों को देखते हैं और सोचते हैं कि इसे खत्म होना चाहिए, लेकिन अधिकतर लोग इस दिशा में कोई काम नहीं करते, बस सोचते ही रह जाते हैं कि इसे खत्म करना चाहिए। बहुत थोड़े लोग ही ऐसे होते हैं जो उनकी मदद के लिए आगे आते हैं। राजा उनमें से एक हैं।
एक इंसान चोर से दूसरों की मदद करने वाला नेकदिल आदमी कैसे बन सकता है, लेकिन इसकी मिसाल हैं टी राजा। राजा को जब अहसास हुआ कि दूसरों की मदद करने के बाद ही असली सुख मिल सकता है तो उन्होंने अपनी जिंदगी ही बदल डाली। उन्होंने यह काम 20 साल पहले शुरू किया था और आज वह गरीबों, ज़रूरतमंद और बेसहारा लोगों की हरसंभव मदद करते हैं।
राजा कहते हैं, ‘हम किसी दूसरे देश से कोई दूसरी मदर टेरेसा के आने की उम्मीद नहीं कर सकते। जरूरत पड़ने पर हमीं को एक दूसरे की मदद करनी होगी।’ राजा की कहानी चोरी, लूटमार, और जुआ खेलने जैसे कामों से भरी हुई थी। एक बार राजा ने घर से ही पैसा चुरा लिया तो उनके घरवालों ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
राजा दो साल तक बेंगलुरू की सड़कों पर भिखारियों की तरह रहे। वह फुटपाथ और कचरे के ढेर के पास सोते थे। दो साल के बाद वह बेंगलुरू से चेन्नई आ गए और यहां भी वह वही काम करते रहे। धीरे-धीरे वह चोरी में भी लिप्त हो गए और एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद जेल भेज दिए गए। जेल में रहकर उन्हें अहसास हुआ कि ऐसी जिंदगी का कोई मतलब नहीं है।
राजा ने 1997 में गरीबों की मदद करने के लिए एक संगठन बनाया जिसका नाम रखा न्यू आर्क मिशन ऑफ इंडिया (NAMI)। उन्होंने सबसे पहले एसपी रोड से एक वृद्ध बेसहारा महिला को उठाया और उसे अपने घर लाए। वह महिला आधे कपड़ों में थी और उसके चारों ओर मक्खियां उड़ रही थीं। उसके शरीर पर कई घाव भी थे।
यहां से राजा की यात्रा शुरू हुई। राजा ने उस महिला के सभी घावों को साफ किया और उस पर दवा लगाई। उसे नए कपड़े दिए और घर में रखकर उसकी सेवा करते रहे। राजा ने अपने इस संगठन का ऑफिस अपने घर के बाहर ही एक कमरे में बनाकर रखा था। राजा बताते हैं कि फटेहाल स्थिति में मिलने वाले भिखारियों की स्थिति को सुधारना आसान काम बिल्कुल नहीं होता। क्योंकि वे इस आशंका में रहते हैं कि कहीं उन्हें उठाकर अस्पताल तो नहीं ले जाया जा रहा। क्योंकि ऐसी कई घटनाएं घटती रहती हैं जिनमें ऐसे गरीब और बेसहारा लोगों को बहला-फुसलाकर लाया जाता है और अस्पताल में उनकी किडनी या जरूरत के अंग निकाल लिए जाते हैं। इसी वजह से कई बार राजा को गालियां भी सुननी पड़ीं और कई बार तो उनपर भिखारियों ने पत्थरबाजी भी की।

अभी राजा की सबसे बड़ी मुश्किल पानी की है। वह हर महीने 40 से 50 हजार रुपये सिर्फ पानी खरीदने में खर्च कर देते हैं। 45 साल के रियल एस्टेट कंसल्टैंट रेजी कोशी ने राजा की मदद करने का फैसला लिया है। उन्होंने राजा से मिलकर बोरवेल लगवाने की सलाह दी है और वह मानते हैं कि इशसे राजा की पानी की समस्या खत्म हो जाएगी। राजा कहते हैं, ‘मैं उस दिन की कल्पना करता हूं जब कोई बेसहारा सड़कों पर नहीं भटकेगा।’