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विनोद नैथानी के बाद अखोडी क्रिकेट का सितारा सूरज ओझल हो गया /
कोन था, उत्तराखंड के गाँधी के गाँव का सूरज, अमिट छाप छोड़ी है, अब मेरे गांव का सूरज कभी नहीं डूबेगा अब तो सूरज आसमा से चमकता रहेगा II
सूरज नेगी उत्तराखंड के गाँधी के गाँव से किसी परिचय का मोहताज नहीं है इनका जन्म अखोडी गांव में 06 जुलाई 1975 में हुआ था, एक मध्यमवर्ग परिवार में पैदा हुए सूरज ने अपनी शिक्षा अखोडी के गोदाधार स्कूल से करि थी, क्रिकेट का एक बेहतरीन हरफन मौला खिलाडी जो उत्तराखंड से लेकर दिल्ली के हर एक मैदान में आलराउंडर बलेबाजी गेंदबाजी, छेत्ररक्षण का अद्भभूतप्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमीयों में इन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी है, क्रिकेट खेल को सूरज ने अखोडी में झिमर्शोड़ से खेलना शुरू किया था , अब ये सितारा 02 जनवरी 2017 को आकस्मिक निधन से दुनिया से अलविदा हो गया, इनकी मृत्यु की खबर सुनते ही अखोडी गांव तथा समस्त ग्यराहगांव हिंदाव में चारो तरफ सनाटा स फ़ैल गया था, मानो जिंदगी थम सी गई हो, सभी क्रिकेट प्रेमी नोजवानो के ह्रदय पर आघात पंहुचा है, ये पहाड़ में एक हरफनमौला क्रिकेटर की अपूणीय छति हुई क्रिकेट का एक ऐसा रोलमोडल था, हरनौजवान सूरज जैसा खिलाडी बनने की ख्वाइश रखता था सभी के दिलो पर राज करने वाले सूरज के बिछड़ जाने से हर एक आँख से आंसू बह रहे थे, किसी को भी ये विस्वास नहीं हो रहा था की अब सूरज अखोडी की जमी से ओझल होगया अब कही दूर आसमान में चमकता हुआ सितारा बन गया, खेल की दुनिया का एक बेहतरीन आलराउंडर क्रिकेटर रहा, जिसने बचपन से ही बेट बाल के साथ खेलना शुरू किया फिर इस महान खिलाडी का क्रिकेट के प्रति लगन और जूनून इस कद्र रहा की सूरज को अखोडी में ‘क्रिकेट का भगवान् ’कहे तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, अपने जीवन काल में सूरज क्रिकेट के मैदान से लेकर सांस्कृतिक रंगमंच कार्यक्रम में खूब बढ़चढ़कर भाग लेते थे अखोडी गाव मे इन्होंने परदे पर राम, लक्ष्मण, सीता का अभिन यकिया, सूरज जब राम बने इनके साथ सीता का अविन यजमन नेगी और रावण का अभिनय बुदिमेहरा ने किया था, इस साल इन कलाकारों के उम्दा अभिनय से अखोडी में अब तक की सर्ब श्रेष्ठ रामलीला मानी जाती है, इनकी रूचि अन्य खेल बाली बॉल, बैटमिंटन, सतरंज मे भी बेहतरीन खिलाडी थे,
सूरज के खेल जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य….. [ads1]
1—सूरज ने जब अखोडी मैदान में संन 1987 में क्रिकेट खेलना शुरू किया तब अंडर 15, बाल टीम से खेले थे, कई साल तक बाल टीम के इस कैप्टेन ने अखोडी टीम को विजेता बनाया था, अपनी कम उम्र के कारनामे क्रिकेट के प्रति जिस लगन मेहनत जूनून से ये खेलते थे, सबको इनके हूनर पर यकीन था की ये बालक एक दिन जरूर अपने गांव का नाम रोसन करेगा फिर इनका चयन अखोडी की A टीम सीनियर में हुआ था तब इन्होंने अपने पहले मैच में बेहतरीन प्रदर्सन से सभी का दिल जितने के साथ सबको हैरान कर दिया था इनके साथ अधिक तर ब्लेबाजी क्रम में हरीश बडोनी मैदान में खेलते थे, सूरज क्रिकेट में बल्लेबाज़ी दायें हाथ से करते थे और जब भी ब्लेबाजी करते थे तो गेंदबाजी पर आक्रमक रुख से प्रहार करते थे, कई बार ब्लेबाजी क्रम में 4 और 5 नo पर खेलने आते थे परन्तु अदिकतर अपनी टीम से ओपनिंग करते थे .
2– संन 2001 में अखोडी टीम 2 भागो में बट गई थी जिसमे से एक FCC बनी थी जिसके कैप्टेन सरोप मेहरा थे और इस टीम में बहार के गांव के खिलाडी और अखोडी के भी बड़े चेहरे थे कैलाश डंगवाल, गिरीश बडोनी इतियादी, दूसरी परंपरागत अखोडी की ऐ टीम बनी थी जिसमे अखोडी गांव के बेहतरीन खिलाडी चुने गए थे और इस टीम के कप्तान सूरज को बनाया गया था, इसीसाल 2001 में सूरज की टीम चोंरा की टीम के साथ फाइनल मैच में धमाकेदार जीत से विजेता बनी थी, जबकि चोरा की टीम में दिल्ली से खिलाडी लाये गए थे इसी टीम में दीपक भारती एक बेहतर बल्लेबाज था, जिसको FCC की टीम दो दिन तक आउट नहीं कर पाई थी दीपक ने दोनों दिन 50 / 50 का स्कोर बनाया था , पहले दिन इस सेमिफाइनल के मैच में बारिश हो गई थी इसिलए दुबारा मैच करवाया गया था, फिर अगले दिन भी FCC की टीम पर दीपक भारी पड़ा, फिर अगले दिन फाइनल मैच में सूरज की अगुवाई वाली टीम ने दीपक को पहली गेंद पर वापस पेविलियन भेज दिया था, अनंत बडोनी की पहली गेंद पर दीपक ने गगन चुम्बी शॉट खेला गेंद अकास में जितनी उचाई पर थी उतने ही आत्मविस्वास के साथ सूरज ने कैच पकड़ा था सभी साथी खिलाडियों ने सूरज को कंधे पर बैठा दिया था, सूरज की ये कुछ विशेस्ता ये थी की उनके हाथो से कैच कभी नहीं छूटते थे,
3—सूरज ने मैदान पर 5 शतकीय पारी और करीब 20 अर्धशतकीय पारी खेलकर अखोडी का नाम क्रिकेट के सुनहरे पन्नो पर अंकित करा दिया / खेल के मैदान में आलराउंडर बहुमुखी प्रतिभा के धनि थे, सूरज की ब्लेबाजी में विसेसता थी की ये पुल कट, ड्राइव, ग्लांस, और लोफ्टेड शॉट खेलने में महारथ हासिल थी, छेत्ररक्षक करते थे तो इन्हें हमेसा सिली पॉइंट, स्लिप, शार्टकॉरडोंस, डीप कवर पॉइंट, बाउंडरी तथा विकेकीपर करने में भी माहिर थे, विकेट के बीच में जितनी तेजी से रन लेते थे उतनी गति से विरोदी खेमे में हल चल होती थी ,सूरज ने एकबार ब्लेबाजी में सरोप महरा के साथ ओपनिंग करते हुवे 200 से भी ज्यादा रनकी साझेदारी की थी, इनकी नियमित तौर पर बल्लेबाज़ी उनके बेहतरीन सन्तुलन और नियन्त्रण पर आधारित थी ! वह अपनी बल्लेबाजी में लंबे छके लगाने के लिये भी जाने जाते थे, बैटिंग की शैली आक्रामक थी, गेंदबाजी में वे कई बार लम्बी टिकी हुई बल्लेबाजों की जोड़ी को तोड़ने के लिये गेंदबाज़ के रूप में लाये जाते थे, जिसमे वो लेगकटर बोलिंग से विकेट लेने में कामयाब रहते थे,
4—हर साल अखोडी के मैदान में टूर्नामेंट का आयोजन होता था लगातार 3 सालतक अखोडी की टीम विजेता रही थी जिसमे की सूरज ने अपने बेहतरीन ब्लेबाजी और गेंदबाजी के प्रदर्शन से अपनी टीम को विजेता बनाया था / अपने क्रिकेट करियर में सूरज अनगिनत बार मैनऑफ़ द मैच, बेस्ट बेट्समेन ऑफ़ टूर्नामेंट, बेस्ट कैच ऑफ़ टूर्नामेंट और मैन ऑफ़ दटूर्नामेंट के अवार्ड से नबाजे गए थे, अखोडी A टीमकेखिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से टेहरी जिले में सभी टीमो में सूरज की A टीम शीर्ष स्थान पर अबल दर्जे की टीम मानी जाती थी , फिर इसी टीम ने हर जगह टूर्नामेंट खेला था जिसमे की धमतोली, ख्वाडसोड, विनयखाल, खानसोड, दोनी, भिलंग, नैलचामी, नागेस्वरसोड, बासर, डांग, पाख, सिलोश, घुमेटीधार, घनशाली, नईटेहरी, पुरानी टेहरी, चम्बा और ना जाने कितने मैदानों पर सूरज की टीम ने अपना परचम लहराया.
5—सूरज ना केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी बल्कि एक बेहतर इन्सान भी थे, जो कभी मैच की जीत का श्रेय खुद को नही मानते थे बल्कि पुरी टीम को इसका श्रेय देते थे जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी उनका सम्मान करते थे,
ग्यरहगाँव हिंदाव में आखिरी क्रिकेट सूरज नेगी ने संन 2013 [ads1]
में डाग टूर्नामेंट खेल था उस दिन इन्हों ने हरीश बडोनी के साथ ओपनर बेटिंग करि थी / पहाड़ के गाँधी के गाँव के इस बहुमुखी प्रतिभावान ब्लेबाज ने 1999 के टूर्नामेंट में ग्राम मुण्डेति के विरुद् 101 रन की शतकीय पारी अखोडी के खेल प्रांगण में खेली थी, ये मैदान में क्रिकेट कभी अपने लिये नहीं खेलता था वह हमेशा ही अपनी टीम के लिये या उससे भी ज्यादा अपने अखोडी गांव के लिए पूर्णतः समर्पित थे। इनके मन में क्रिकेट के प्रति अत्यधिक सम्मान का भाव रहा, कभी आवेश में आकर कोई टिप्पणी नहीं की। किसी खिलाड़ी ने अगर उनके खिलाफ कभी कोई टिप्पणी की भी तो उन्होंने उस टिप्पणी का जवाब जुबान से देने के बजाय अपने बल्ले से ही दिया। ये ही कारण था की सभी टीम में चर्चित खिलाडी थे, हर जुबान पर सूरज का ही नाम होता था, जब इन्हें अंपायरिंग करने का अबसर मिला इन्होंने निस्वार्थ भाव से हमेसा सही फैसले को ही सामने रखते थे, जब कभी मैदान में इनका मैच नहीं होता तो ये कॉमेंट्री कर रहे होते थे, हमेसा मैदान में अपने चित परचित अंदाज मेंसफ़ेद पोसाक पहने रहते थे सबसे रूबरू होते थे ..हर कोई इन से खेल से जुडी जानकारिया लेना चाहता था,टेहरी जिले में जब जब महान बल्लेबाज का नाम आएगा तो सूरज का नाम स्वर्णिम अक्षरो में लिखा होगा, सलाम करते है ऐसे सपूत को ऐसे कुछ निराल ही जन्म लेते है इस धरती पर जिनमे क्रिकेट खेल प्रति इतना जूनून था, यही कारण था की और किसी छेत्र में इनका मन नहीं लगा क्रिकेट की दीवानगी इस कद्र थी की अपने पुरे जीवन काल में इन्होंने खेल के अलावा और किसी छेत्र को बरियता नहीं दी .उत्तराखंड से दिल्ली तक के लाखो लोगो को कईबार अपने बेहतरीन खेल से खुशियों के पल दिए और अखोडी का नाम पुरे भारत में रोशन किया. सूरज 2011 में अखोडी गांव से दयालपुर दिल्ली में रहने आ गए थे, फिर यहाँ रोजी रोटी के लिए ललित होटल में ट्रांसपोर्ट विभाग में कार्यरत थे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे थे,
सूरज के जीवन पर प्रकास डालती ये कविता [ads1]
‘सूरज‘ क्रिकेट में युगो युगो तक नाम रहेगा
बीते लम्हे की याद में हर आंख से आंसू बहेगा II
हमे अलविदा कह गए कास ये सब नहीं होता
अब मैदान में नहीं रहोगे ये विस्वास नहीं होताII
तुम्हारी नसों में दौड़ता क्रिकेट काही खून था
क्रिकेट का तुम से ज्यादा किस में जूनूनथा II
अब पहाड़ के गाँधी के गांव में टूर्नामेंट होगा
तो सूरज जैसा स्टार बल्लेबाज नहीं होगा II
अब सूरज तुम्हारी न वो धुरंधर पारी होगी
न तुम्हारे बल्ले से वो रनों की बारिश होगी II
क्या धुंआधार थी गेंद बल्ले की पारियां
हर एक शॉट याद है वो शतकीय पारियां II
जब सूरज के हाथो बल्ला होता था
तो मैदान में दीवार सा खड़ा होता था II
क्रिकेट खेल में हर एक किरदार निभाया
राम, लक्ष्मण, सीता का अभिनय दिखायाII
तुम नाबाद आलराउंडर की पारी खेल गए
खुद अलविदा होकर हम सबको रुलागए II
आस्मां में सूरज सासि तारा चमकता रहेगा
पल पल तेरी याद में ये हिर्दय तड़पता रहेगा II
अब मेरे गांव का सूरज कभी नहीं डूबेगा
अब तो सूरज आसमा से चमकता रहेगा II
सूरज के ओझल से हर सख्श परेसान है
सूरज के बिछड़ने से दुखी मन सहमा सा है II
कभी बेट से कमाल तो कभी बॉल से धमाल
मनहूस घडी थी सूरज के लिए ये 2017 का साल II
पहाड़ के अर्जुन ढूंढो अब क्रिकेट का द्रोण बन कर
सूरज तुम छाये रहोगे सदा क्रिकेट के अम्बर पर II
भावभीनी श्रधांजलि – राकेश मेहरा, शिव सिंह रावत की कलम से