- शास्त्रों में चार पुरूषार्थ बताए गए हैं जिनमें तीसरा पुरूषार्थ काम है। माना जाता है कि इसके बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है। जबकि एक तरफ शास्त्र कहता है ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है। ऐसे में ब्रह्मचर्य और काम में से किसी चुना जाए जिससे मोक्ष की प्राप्ति संभव हो पाए।
- शास्त्रों में पुरुषों के लिए चार पुरुषार्थ बताए गए हैं। इन चार पुरुषार्थ के बिना मनुष्य योनी में जन्म का कोई मतलब नहीं है। शास्त्र कहता है कि मनुष्य योनी में जन्म लेने वाले हर जीव का पहला उद्देश्य धर्म है, दूसरा अर्थ यानी धन अर्जन है तीसरा उद्देश्य काम है जिसका मतलब सुख है जिसमें यौन सुख भी शामिल है।
- दूसरी ओर शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि मोक्ष की कामना रखने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। अगर इस बात को पूरी तरह मान लिया जा तो तीसरे पुरुषार्थ का कोई मतलब नहीं हर जाता क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन करने पर तीसरा पुरुषार्थ छूट जाएगा ऐसे में मोक्ष प्राप्ति का उद्देश्य कैसे पूरा होगा।
- अब शास्त्रों के विधान का ध्यान से अध्ययन करें तो आप पाएंगे कि ब्रह्मचर्य के नियम का मतलब है संयम यानी काम भावना का संतुलन और इसका पालन तमाम उम्र जरूरी है। सामाजिक व्यवस्था में चार आश्रम की बात की जाती है ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वाणप्रस्थ और संन्यास। यानी जीवन के पहले भाग में जब आप शिक्षा और कैरियर के लिए प्रयास कर रहे हैं उस समय आपको ब्रह्मचर्य का पालन पूर्णतः करना चाहिए तभी आप सफलता की ओर अग्रसर होंगे।
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